बस्तर में बोधघाट परियोजना और कोत्तागुड़म–किरंदुल रेल लाइन का विरोध तेज, बस्तरिया राज मोर्चा ने उठाई आवाज

 बस्तर में बोधघाट परियोजना और कोत्तागुड़म–किरंदुल रेल लाइन का विरोध तेज, बस्तरिया राज मोर्चा ने उठाई आवाज


जगदलपुरबस्तर में प्रस्तावित बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना और कोत्तागुड़म–किरंदुल रेल लाइन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बस्तरिया राज मोर्चा संयोजक मनीष कुंजाम ने आकांक्षा होटल में पत्रकार वार्ता कर इन दोनों परियोजनाओं का विरोध दर्ज कराया।


कुंजाम ने कहा कि बोधघाट परियोजना से कम से कम 56 गाँव सीधे प्रभावित होंगे। हजारों आदिवासी परिवार अपनी जमीन, जंगल और आजीविका से वंचित हो जाएंगे। उनकी सदियों पुरानी संस्कृति, देवगुड़ी, श्मशान घाट और पूर्वजों की स्मृतियां भी डूब क्षेत्र में समा जाएंगी। उन्होंने आशंका जताई कि इस परियोजना का पानी बस्तर के बजाय रायपुर या अन्य औद्योगिक क्षेत्रों तथा कॉरपोरेट कंपनियों के हित में इस्तेमाल होगा।


उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने का दावा सिर्फ दिखावा है, क्योंकि भूगोल के लिहाज से यह बेहद कठिन है।


दूसरीओर,कोत्तागुड़म–किरंदुल रेल लाइन के सर्वे को लेकर भी नाराजगी जताई गई। कुंजाम ने बताया कि सर्वे बिना ग्रामसभाओं से सलाह-मशविरा किए, भारी पुलिस बल की मौजूदगी में कराया गया। प्रभावित गांवों के लोग सर्वे की जानकारी तब पा सके जब काम पूरा हो गया। दंतेवाड़ा कलेक्टर को कानूनी प्रावधानों के हवाले से आपत्ति पत्र भी सौंपा गया है, लेकिन इसके बावजूद सर्वे जारी है।


बस्तरिया राज मोर्चा का कहना है कि इन परियोजनाओं की मांग जनता ने कभी नहीं की। यह सब बड़े कॉरपोरेट घरानों और खनिज संपदा के दोहन की गति तेज करने के लिए हो रहा है। कुंजाम ने स्पष्ट किया कि बस्तर का मूल स्वरूप और जनजीवन बचाने के लिए संगठन जनता को संगठित कर व्यापक संघर्ष करेगा।

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